पशु आहार
दुग्ध उत्पाद का हिस्सा देश की जीडीपी का करीब 5 प्रतिशत है। भारतीय परम्परा में देशी गाय के दूध को अमृत कहा गया है। दूध का उत्पादन तेज़ी से बढ़ाने के लिए पशुओं को अच्छी गुणवत्ता वाला फीड आवश्यक है। यह सर्व विदित है की दुधारू पशुओं पर करीब 60 से 70 फीसदी खर्च सिर्फ उनकी खुराक पर होता है। ऐसे में आवश्यक है कि पशुओं की खुराक उनके उत्पादन के अनुरूप उचित एंव संतुलित हो जिसमे सभी आवश्यक तत्व विद्यमान हो।

मक्का किंग
यूरिया रहित पशु आहार
यूरिया, शीरा युक्त पशु आहार पशुओं के लिए पूरक पोषण का महत्त्वपूर्ण स्रोत है जिसके फलस्वरूप पशुओं की उत्पादन क्षमता में सुधार होता है।
मिश्री मावा
यूरिया, शीरा युक्त पशु आहार पशुओं के लिए पूरक पोषण का महत्त्वपूर्ण स्रोत है जिसके फलस्वरूप पशुओं की उत्पादन क्षमता में सुधार होता है।


तुअर मावा
यूरिया, शीरा युक्त पशु आहार पशुओं के लिए पूरक पोषण का महत्त्वपूर्ण स्रोत है जिसके फलस्वरूप पशुओं की उत्पादन क्षमता में सुधार होता है।
चना मावा
यूरिया, शीरा युक्त पशु आहार पशुओं के लिए पूरक पोषण का महत्त्वपूर्ण स्रोत है जिसके फलस्वरूप पशुओं की उत्पादन क्षमता में सुधार होता है।


हाई गेन
यूरिया, शीरा युक्त पशु आहार पशुओं के लिए पूरक पोषण का महत्त्वपूर्ण स्रोत है जिसके फलस्वरूप पशुओं की उत्पादन क्षमता में सुधार होता है।
दुध वरदान की विशेषता
पशुओं की उत्पादन क्षमता बढती हैै। पसा समय पर गाभिन होता है और हर साल एक बच्चा व 300 दिन तक भरपूर दूध का लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलती है। पसा बिमारी से दूर रहता है जिससे रोग पर होने वाले खर्च में भारी कमी आती है। दुध का उत्पादन, फैट व ैछथ् बढता है। यूरिया रहित होने के कारण यूरिया के दुश्प्रभाव नहीं होते।
मुख्या पशु आहार










पशु पालन के संबंध में ध्यान रखने योग्य बाते
2 -हरा चारा प्रत्येक पशु को प्रतिदिन मिलना चाहिए | हरे चारे की मात्रा 10 – 30 किलोग्राम तक होनी चाहिए । इसकी कमी के समय साइलेज का प्रयोग करें ।
3-संतुलित आहार पशु के शरीर, भार एंव उत्पादन क्षमता को दॄष्टिगत रखते हुवे दिया जाना चाहिए। नए आहार की मात्रा धीरे–धीरे बढ़ाएं।
4 –दूध वरदान बत्तीसा, यकृतामृत सप्ताह में ३-४ बार प्रत्येक पशु को आवश्य दें।
5 – स्वच्छ जल हर समय उपलब्ध रहना चाहिए ।
6 -पशुशाला की सफाई नित्य दो बार की जानी चाहिए।
7 –कृमि-नाशक दवा प्रत्येक तीन चार माह पर दें।
8 -पशुओं का गर्भाधान, अच्छे नस्ल के स्वस्थ सांड / भैंसा द्वारा प्राकृतिक रूप से या पशु विशेषज्ञ द्वारा कृत्रिम गर्भाधान से कराया जाना चहिये ।
9 -बाँझपन की झाँच एंव चिकित्सा अवश्य कराई जानी चहिये ।
10 -थनैला रोग हेतु दूध की जांच अवश्य करनी चहिये।
11-पशु को ब्याने के पूर्व शक्ति धरा , यकृतामृत एंव ब्याने के पश्चात् गर्भांजलि, संवृद्धि कैल्शियम एवं शक्तिधारा इत्यादि दूध वरदान फीड सप्लीमेन्ट्स का प्रयोग आवश्य करें ।
संतुलित पशुआहार का दुग्ध उत्पादन में महत्व |
मात्रा में एवं अनुपात में उपलब्ध होते हैं।
महत्व :
1-संतुलित पशुआहार में आवश्यक पोषक तत्व प्रोटीन, फैट, कार्बोहायड्रेट, विटामिन्स एंव मिनरल्स उचित अनुपात में उपलब्ध होने से पशु का समग्र शारीरिक विकास होता है। गर्भ में पल रहे बच्चे के समुचित विकास क लिए इसे खिलाना लाभ प्रद होता है।
2 -इस आहार में प्रोटीन विभन्न स्रोतों से प्राप्त होने के कारन अमीनो एसिड्स संतुलित होते है।
3 -इस आहार में फैट (वसा) विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने के कारन वसा अम्ल (फैटी एसिड) भी संतुलित होते है।
4 -संतुलित पशुआहार खिलने से दूध की मात्रा व गुणवत्ता के साथ में बढ़ोतर साथ-साथ पशु से उत्तम गुणों वाले स्वादिष्ट दूध की प्राप्ति होती है ।
5-कार्बोहायड्रेट (ऊर्जा ) विभन्न स्रोत्रों से प्राप्त होने के कारन पशु को संतुलित ऊर्जा मिलती है। जिससे पशु की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है।
6-पशु की रोक प्रतिरोधक क्षमता पढ़ती है। अतः पशु कम बीमार होते हैं ।
7 -असंतुलित आहार ज्यादा महंगा एंव इसे पचाने में पशु को ज्यादा ऊर्जा / ताकत खर्च करनी पढ़ती है एंव खनिज व लवणों की कमी से होने वाले न्यून रोगों की सम्भावना रहती है ।
8-संतुलित पशु आहार अपने आप में संपूर्ण आहार है इसे खिलाने के पश्चात्त पशु को अन्य कोई बांट-चाट, अनाज, खल इत्यादि देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस पशुआहार को इन सभी पदार्थो के उचित समावेश से वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर बनाया जाता है।
9-संतुलित पशुआहार, जैसे ____पशु क लिये वरदान स्वरुप है, जिससे पशु ह्रिष-पुष्ट, बलवान तथा निरोगी रहता है।दुधारू पशु को _____ पशुआहार खिलाने से पशु समय पर गर्मी में आते हैं तथा गाभिन हो जाते हैं एंव पशु से वर्ष में 300 दिन तक भरपूर दूध व प्रतिवर्ष एक बच्चा लिया जा सकता है ।
पशुओं को खनिज मिश्रण खिलाने का महत्व ।
१– प्रजनन शक्ति को ठीक रखता है और दो ब्योतों के बिच के अंतर को कम करता है।
२–पशुओं की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।
३–पशुओं में ब्यात के आस–पास होने वाले रोगों जैसे दुग्ध ज्वर, कीटोसिस, मूत्र में रक्त आना जैसी समस्या को नियंत्रित करता है ।
४ – दुधारू पशुओं में होने वाले कैल्शियम और फॉस्फोरस की कमी को दूर करता है।
६– जेर न गिरना, योनिभ्रंश (प्रोलेप्स) थनैला जैसे रोगों से बचाव में मदद करता है।
७ –थनों के विकास में सहायक है।
८- दूध उतारने में मदद करता है एंव पशु को तनाव मुख्त रखता है।
९ – बछड़े /बछड़ियों की वृद्धि में सहायक है
बायपास-प्रोटीन युक्त पशुआहार खिलने का महत्व
बाईपास–प्रोटीन युक्त पशुआहार पशु के शरीर में माँस–कोशिकाओ की क्षतिपूर्ति, शरीर की वृद्धि, तथा दुग्ध उत्पादन हेतु प्रोटीन आवश्यक है। इसके अतिरिक्त छूत की बिमारिओं, बाँझपन, प्रजनन सम्बन्धी अनेक बाधाये दूर करने में भी प्रोटीन की आवशक्ता होती है। समान्यतः आहर में उपलब्ध प्रोटीन का अधिकांश हिस्सा पेट के पहले भाग में ही टूट जाता है। जबकि बाईपास–प्रोटीन का अधिकांश हिस्सा पेट के पहले भाग में न टूटकर आगे बढ़ जाता है जिससे पशु उसका उपयोग बेहतर तरीके से करता है।
सामान्य तौर पर तैयार किये हुये पशु आहार में प्रोटीन केवल ३०–३५ % ही अवशोषित (Absorve) होता है।
जबकि बाईपास विधि से तैयार संतुलित पशु आहार में प्रोटीन की उपलब्ध ता ३०–३५ % से बढ़कर ७० –७५ % (लगभग दोगुनी) हो जाती है। अतः पशु की दूध उत्पादन क्षमता पढ़ जाती है और उत्पादन लागत उतनी ही मात्रा में कम हो जाती है।
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त्रिमूर्ति पशु आहार उद्योग, प्लाट नं १०४, रामदेव बाबा दाल मिल के सामने, Chikli, New Mehta Kanta , Bharatnagar, Kalamna, Nagpur- 08